इन गलियारों में दिन बहुत गुजारे है, इन्होंने ही तो बचपन को सवारे है। खेलकूद का वो चौक, अब भी यादों में ठहरा है। हमारी शरारतो के किस्सों का आज भी वहां पहरा है। गैलरी पुत खो-खो शोर, बस बदल गई जीवन की डोर, जो यार पुराने थे वहीं पर सारे हैं। इन गलियारों में दिन बहुत गुजारे हैं, इन्होंने ही तो बचपन को सवारे हैं। जो बिछड़ा सा पल था वो आज मिल गया, पुरानी यादों का फूल फिर से खिल गया, बचपन सा लगता है यह दिन कभी ना भूलूंगा, हकीकत नहीं गया था कभी गांव अपने जब इन किस्सों को पन्नों पर उतारे हैं। गलियारों में जिन बहुत गुजारे हैं, इन्होंने ही तो बचपन को सवारे हैं। ©Kumari Laxmi #Kld #kumarilaxmi #kumarishayari #Poetry #Pocket #love❤ #bacpana #sad😔 #Life