सबको चाहिये था अमृत पर पूरे ब्रह्माण्ड का गरल तुमने अकेले पिया लोग अपनों को भूल ज़ाते हैँ तुमने विष को अपने कंण्ठ मे स्थान दिया लोग कहते हैँ तुमको संहार करते हो तुम सृजन के लिये पर संसार को समान प्रेंम तो सदा तुमने किया अब हमको कहना पढ़ता है बाबा कहने दो क्यूंकी तुम तो कभी कहते ही नहीं तुमने क्या क्या किया पर पूरे ब्रह्माण्ड का गरल तुमने अकेले पिया हर हर महादेव ©शिवम मिश्र