बारिश की बूँद सी थी वो, उसके आने की आहट से ही दिल खुश हो जाता था, मैं कोई अकेला ना था, हर कोई उसकी बारिश मे भीगना चाहता था, यूँ तो कई दफा बारिश मे भीगा था मैं, पर उसकी एक बूँद मे डूब जाना चाहता था, मेरे हर इंतज़ार से वाक़िफ़ थी वो, मेरे घर से निकलते ही उसकी दस्तक का आना होता था, हर दिन भीगता रहा मैं, उस अनकही मोहब्बत की बारिश मे, रात मे नींद आती थी, अगली सुबह की मुलाकात की ख्वाईश मे, एक रोज़ वो बारिश भी रो पड़ी, मुझे दूर जाने की बात से, क्या करते मुकद्दर को शायद यही मंजूर था, उसकी मोहब्बत की बारिश मे, मेरा भीगना बस यहीं तक था..... ©Dia #sanghvi #apart