आओ बैठो किसी रोज़ मेरे संग इक शाम, इक शाम बस अधूरी ख़्वाहिशों के नाम| चीखते होंगे, चिल्लाते होंगे हमारी नामौजूदगी में, शिकायतों का ढेर लगाते होंगे हमारी गुमशुदगी में, तशरीह सुन आते हैं उनकी भी इक शाम, इक शाम बस अधूरी ख़्वाहिशों के नाम| मशग़ूल हैं हम इतने कि भूल चुके हैं उन्हें, इक वक़्त था जब शिद्दत से चाहते थे उन्हें, अब वो आते हैं दस्तक देकर चले जाते हैं, कभी-कभी झल्लाकर कुछ सवाल भी उठाते हैं, चलो न, सुन आते हैं उन सवालों को इक शाम, इक शाम बस अधूरी ख़्वाहिशों के नाम|| अधूरी ख़्वाहिशों के नाम... #अधूरीख़्वाहिशें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #vineetvicky #poetryflashes #nanowrimo2020 #encoreekkhwab