दिल-ए-मुज़्तर...! जाने कब ये तेरा वहम टूटेगा। पत्थर दिल है वो, भला पत्थर भी कभी पिघलेगा।। पगले..! क्यूं सींचता है आँसुओं से इस नहूसत को। तुख़्म-ए-ग़म से कभी बूटा-ए-ख़र्संद नही निकलेगा।। دلِ مضطر ! جانے کب یہ تیرا وہم ٹوٹے گا پتھر دل ہے وہ، بھلا پتھر بھی کبھی پگھلے گا پگلے ! کیوں سینچتا ہے آنسوؤں سے اِس نحوست کو تُخمِ غم سے کبھی بوٹہ اے خورسند نہی نکلے گا 💔😔🙏 दिल-ए-मुज़्तर= बेचैन दिल वहम= ग़लत फ़हमी, भ्रम सींचना= spraying of plants तुख़्म-ए-ग़म= ग़म का बीज बूटा-ए-ख़र्संद= ख़ुशी का पैदा #restlessheart #sadness #urdupoetry #vaseemakhthar #ownthought #yqbhaijan #yqdidi #yqbaba