रिश्तो के परिधि में लाडो़ ये अनोखा प्रयास है, हृदय के हर तंतु जाल में तेरा ही तेरा वास है.... दृष्टि पटल के इस द्वार पर ओझल सी तस्वीर टंगी है, अंतर तल में बूझ रहा हूँ बाहर तो भीड़ लगी है! कंदराओं में प्रेमपिपासु सा विह्वल मन भटक रहा, सोई हुई अनुभूतियों में अलसाई सी पीर जगी है! बाहर तो ओस सी बूंदे भीतर जो उमड़ा कुहास है.... मेरे शब्द भी मौन हुए हैं ये सब आँखें कह जाती हैं, सिसक रही साँसे दीपक की जब जलती स्नेह के बाती है, भोर भई अब सांझ ढली ये चिंता रातों को जगाएगी, जब छिटकते हैं भाव ये मेरे रह रह तेरी यादें ही आती हैं! पिता जैसे भाव हैं मेरे बिटिया मूलबंध विश्वास है..... ©kumar ramesh rahi मेरी प्यारी बिटिया रानी💕💕😢 #हिंदी #पितापुत्री #रिश्ता #विह्वलता #मेरी_भावना #अनुभूति #kumarrameshrahi #MomentOfTime