नन्हा पौधा तुलसी का,तुलसी का पौधा मेरे आंगन में,असीम सुख और समृद्धि लिए बढ़ता है...स्वच्छता का आधार, स्वास्थ्य का पर्याय,घर में वृंदावन की पवित्रता गढ़ता है...,अपनी जड़ में छुपाए शांति की स्नेह धारा,अंतिम क्षणों में भी जिंदगी से लड़ता है...मंजरियों से लदा उसका तन सुकोमल,हर रोग के आगे दवा बनकर अड़ता है...पत्ता-पत्ता उसका अमृत का सार है,रंगत से अपनी माँ सी दुआएँ भरता है...करता है हर क्षण पुण्य प्रकाश को संचित,सूर्य का अवतार बन हर तम को वह हरता है...वरण जिसका करते हैं स्वयं ईश विष्णु,भोजन में मिलकर बस भोग बन जाता है,नन्हें बच्चों के लिए खिलौना बड़ों की प्रार्थना का,संयोग बन जाता है... प्रतिदिन का अर्घ्य,स्नेह और विश्वास का दीपक बनकर सबको,अध्यात्म की राह दिखाता है... वैद्य वह पुराना,हर दर्द हरने वाला नन्हा पौधा तुलसी का,वटवृक्ष बन जाता है... अर्चना अनुप्रिया। ©पूर्वार्थ #तुलसी_पूजन_दिवस