इस नदी की धार बहुत तेज बहाती है अपने किनारों पर नरमी भी दिखाती है आंसूं दिखेंगे न कभी, डुबकी लगा ली जो उमड़ घुमड़ में तैरना मुहब्बत सिखाती है किनारे से चलोगे, तो तुम्हें मझधार खींचेगी बेखौफ तुम जो चल पड़े राहों में सींचेगी थकन भारी पड़ी, लहर आकर जगाती है इस नदी की धार बहुत तेज बहाती है ©संजीव #नदी #धार #किनारों #डुबकी #मुहब्बत #मझधार #लहर #reading