"आकाशवाणी" आकाशवाणी सी आ गूंजी,मेरे कर्ण के पट पर निश्चल हो जा, कर दे प्रहार इस स्वार्थ कपट पर क्यों अनुरागी और बैरागी की बाधा बनकर तू बहने दे, क्यों बैठा है धारा के तट पर! क्यों स्वर्ण हिरण बन बैठा है, अब राम नहीं है जो घात लगाए बैठा है ,क्या काम नहीं है पा जाएगी यह देह स्वर्ग ,मानस में बंधकर थक जाएगा यह स्वार्थ भी जब ,मझधार निकट पर! आकाशवाणी सी आ गूंजी ,मेरे कर्ण के पट पर निश्चल हो जा ,कर दे प्रहार अब स्वार्थ कपट पर!! #DPF #आकाशवाणी #kavishala #nojoto "आकाशवाणी"