सुना हैं ....! शहर में खण्डर बहुत है पेड़ हैं तो मगर सूखे टूटे और कुछ बिखरे पंक्षियों की आबाज़ नही आती है यहाँ दूर दूर तलक फटे चिथड़ों में तन ढकते देखा मैने लोगो को भुखमरी से लगता है मरने वाले बहुत है रोशनी कर लेते है हम जैसे अपने घरों में दीये जलाकर जिस तेल से रोशन है हमारे घर के दीये उस तेल की उपज के लिये जलने वाले बहुत है मिल जाती है हमे चारदीवारी रहने के लिये जिन जगाहों पर फेके जाते हैं हमारे घरो के गंदगी रोशनी नही पहुँचती उन नालों में यहां उन नालों को भी अपना घर बनाने वाले बहुत है डस्टबीन में ढूंढते देखा है मैंने उस बच्चे को भूख हम खाते है पिज्जा बर्गर चाउमीन और सूप शादी व्याह में ज्यादा हो जाने पर फेक देते है जिस दाने को हम उन झूठे दानों को भी खुशी से खाने वाले बहूत हैं ✍️रिंकी सुना हैं ....! शहर में खण्डर बहुत है पेड़ हैं तो मगर सूखे टूटे और कुछ बिखरे पंक्षियों की आबाज़ नही आती है यहाँ दूर दूर तलक फटे चिथड़ों में तन ढकते देखा मैने लोगो को भुखमरी से लगता है मरने वाले बहुत है रोशनी कर लेते है हम जैसे अपने घरों में दीये जलाकर