देखो कैसा पागल हूँ मैं खुद को पागल कहता हूँ खूब फ़हम की बातें कर बच्चों सी हरकत करता हूँ सारी तालीमें लेकर भी घर पर तन्हा रहता हूँ ज़िंदा हूँ हाँ जिंदा हूँ मैं फिर क्यों मरता रहता हूँ कह देता हूँ बिल्कुल वैसा जैसा अंदर लिखता हूँ तुम रखते हो छन्नी मुह पर मैं सब यूँ कह देता हूँ गलत सही या सही गलत मैं तुमसे सब कुछ कहता हूं तुम सही सही बस सही सही की बातें मुझसे कहते हो फिर पागल सी हरकत कर मैं बहुत जोर चिल्लाता हूँ और तुम चिल्ला चिल्ला कर मुझको पागल कह देते हो. मैं चुप होकर जाता हूँ जब तुम जोर जोर चिल्लाते हो मैं खुद को पागल कहता हूँ तुम चुप होकर मुस्काते हो देखो कैसा पागल हूँ मैं खुद को पागल कहता हूं खूब फ़हम की बातें कर बच्चों सी हरकत करता हूँ. देखो कैसा पागल हूँ मैं.....