मज़हब के नाम पर दंगे करना ही सिखा गया श़ायद मज़हब लहू के बदले बहाया लहू और पाया भी बस लहू अपना अस्तित्व खो चुका अमन, रहा न कोई जब अपना इंसानियत तभी दफ़न हुई, नफ़रत अब बनी इंसानियत वज़ूद खो चुका हर इंसान, अब न रहा जिंदगी का भी कोई वज़ूद जीये जा रहे हैं बस जीने की ख़ातिर, इस कदर जीये भी तो क्या जीये वक्त़ है नए बदलाव का, लाना है एक बेहतर वक्त़ कल को भूल, आज में जी कर लाना है बेहतर कल प्यार का असर हो हर तरफ, हर किसी को हर किसी से हो प्यार कायनात़ में बस रूहानियत बसे, रूहानी हो ये कायनात़ #YQdidi My 3rd entry on #quotathon Aniket Kale #हिन्दी #मज़हब #दंगा #लहू #अस्तित्व #अमन #इंसानियत #दफ़न #नफ़रत #वज़ूद #जीना #वक्त़ #बदलाव #कलआजकल