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वो गजल आज पूरे सात बरस की हो गयी जो मुद्दतों से एक

वो गजल आज पूरे
सात बरस की हो गयी
जो मुद्दतों से एक
अज्ञातवास में है..

वो भी शायद 
याद करती होगी मुझे
कि कैसे ..
मैंने उकेरे थे अपने जज्बात उसमें
संजोए थे कुछ ख्वाब उसमें
बैठायी थी कुछ तरकीबें
बड़े करीने से ताकि
गम के अंधरों में
पैबंद के सुराखों के ज़रिए ही सही
कहीं से तो तुम्हारी रोशनी आये..

पर ये होना कभी मुमकिन ना हुआ
वो गजल दियासलाई की लौ से
खाक होकर अदम में खो गयी..

शायद मुझे पुकारती भी हो
पर उसके लफ्ज ठीक से याद नहीं मुझे
उसकी पुकार मैं सुन नहीं पाता
मैं उसे चाहकर भी वापस नहीं ला सकता..
शायद अज्ञातवास ही उसकी मंजिल थी!
-KaushalAlmora

 #अज्ञातवास #yqbaba #yqdidi #गजल #yqquotes #yqdiary
वो गजल आज पूरे
सात बरस की हो गयी
जो मुद्दतों से एक
अज्ञातवास में है..

वो भी शायद 
याद करती होगी मुझे
कि कैसे ..
मैंने उकेरे थे अपने जज्बात उसमें
संजोए थे कुछ ख्वाब उसमें
बैठायी थी कुछ तरकीबें
बड़े करीने से ताकि
गम के अंधरों में
पैबंद के सुराखों के ज़रिए ही सही
कहीं से तो तुम्हारी रोशनी आये..

पर ये होना कभी मुमकिन ना हुआ
वो गजल दियासलाई की लौ से
खाक होकर अदम में खो गयी..

शायद मुझे पुकारती भी हो
पर उसके लफ्ज ठीक से याद नहीं मुझे
उसकी पुकार मैं सुन नहीं पाता
मैं उसे चाहकर भी वापस नहीं ला सकता..
शायद अज्ञातवास ही उसकी मंजिल थी!
-KaushalAlmora

 #अज्ञातवास #yqbaba #yqdidi #गजल #yqquotes #yqdiary
kaushaljoshi2249

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