आंखों में जिसके ज्वाला थी और हृदय में भारत का प्रकाश जो त्याग दिये अपने तन को पराधीन तन्त्र बेरुखी वात ।। संघर्ष किये 31 तक वो भारत की सान बचाने को स्वतन्त्र वात फिर लाने को अंग्रेजों को दहलाने को ।। षड्यंत्र किया सत्ता ने तब कुछ अपनों ने भी साथ दिया इन देश के वीर जवानों से फिर घात किया फिर घात किया ।। जब तक हममें जान रहेगा शहीदों का सम्मान रहेगा ।। अशोक सिंह आजमगढ़