"चाँद का फूल" हर रोज़ छत से निहारता आसमानों में उस फूल की ओर जिसकी टहनियां कहीं नहीं जो सहर तलक मुरझा जाए और शाम को वापस आ जाये उसी तरह जैसा कल था कल जैसा लगा वैसा पल था। मैं निहारता रहा चाँद का फूल जो अंधेरों में भी जगमग-जगमग रौशनी देता रहा, जो घने-अंधेरे बादलों को चिर के बहता रहा क़तरा-क़तरा बांट उजाला ख़ुद अंधेरों में लिपटा लाखों कलियां साथ लिए तनिक उजालों में सिमटा। रोज़ देखता होता मशगूल ऐसा है ये "चाँद का फूल" #nojotohindi #nojotopoem #chand #tanha #feelings #mypoem