इंसान जीरो से ही उठता हैं वक़्त ने एक मौका और दिया है मुझे उठने का, अब नहीं उठ पाया तो शायद जीरो ही रहे जाएंगे। औक़ात बदलनी है तो इरादे मजबूत हो क़ामयाबी तो इरादों की मोहताज है जीरो