प्रेम कभी गर करना तुम, थोड़ा सा ठहरना तुम। पढ़कर दो - चार खोखली बातें इश्क़ की, प्रेम कभी न करना तुम। लोग कहतें हैं प्रेम में परखा नहीं जाता, इस पर विश्वास न करना तुम, प्रेमी हो या प्रेयसी गर प्रेम है तो, जरूर परखना तुम। कहनें को किसी को प्रेमी या प्रेमिका, एक उम्र का इंतज़ार करना तुम। गर लग नहीं रहा रिश्ते में कुछ सही, तो इससे ज़रूर निकलना तुम। गर प्रेम पाश विष जैसा है, सब दिखता धूमिल सा है। ऐसी घड़ी में, अपनों को सब बतानें से न हिचकना तुम। प्रेम कभी गर करना तुम, थोड़ा सा ठहरना तुम।। ©पूर्वार्थ #प्रेम #हिंसा