मेरा बेपरवाह इश्क़, और तेरी मज़बूरियां, मेरा अल्हड़पन, ओर तेरी खामोशियाँ। अब तुम ही कहो मेरे सनम, कोई प्रेम कहानी बने तो कैसे बने। मेरी तुमसे ये बेबाक़ी, तुम्हारी हिचकिचाहट, मेरा पागलपन, और तुम्हारी समझदारी। अब तुम ही कहो मेरे सनम, कोई सांसों की रवानी बने तो कैसे बने। चल थोड़ा सा तू बदल मेरे लिए, थोड़ा में भी बदल जाऊं तेरे लिए। यूँ खुद की अकड़ में रहने से तू ही बता मेरे सनम, कोई चाहत की निशानी बने तो कैसे बने। ©सखी #प्रेमकहानी #अल्हड़पन #मजबूरियां