एक गुजारिश माँ से.... ................................. माँ मुझको वापस घर ले बुला, गोदी मे मुझको फिर से सुला! माँ पता है मुझको, मेरी फ़िकर हमेशा तु करती है. अब करता ना हूँ कोई नखरे ,जो मिलता है सो खाता हूँ, कई रात तो माँ अब मैं भुखे ही सो जाता हूँ! लोगों से मिला है मुझे बहुत ही प्यार, पर किया ना कोई तुझसा दुलार! माँ मुझको वापस घर ले बुला, गोदी मे मुझको फिर से सुला! पास बिठा के माँ मुझको बचपन कि वो लोरी सुना, जानी-अनजानी मुझको फ़िरसे भुतों वाली काहानी सुना! मन करता है डर छुप जाऊँ जाके तेरी आँचल में, माँ आज भी मुझको आता याद तेरा वो सिक्का है, बिन माँगे ही कहती थी, यहाँ पैसा ये किसका है! माँ मुझको वापस घर ले बुला, गोदी मे मुझको फिर से सुला! माँ खा लुँगा अब वो भी खीर, जो नखरे में ना खाता था, अच्छा ना है ये कह कर गुस्से से मैं सो जाता था! फ़िर नखरे उठा कर तु मेरी बड़े प्यार से खिलाती थी, बस आखिर बार है ये कह कर, खिलाते ही तु रहती थी! माँ मुझको वापस घर ले बुला, गोदी मे मुझको फिर से सुला! एक गुजारिश माँ से