जली है मशाल , तो लगे हाथ अपनी खामियों को भी जला देना , उसने क्या पहना है , वो कहां जा रही है , कहां से आ रही है ,ए सब सोचना बोलना भी जला देना , मां बाप को छोड़ने की बात हो ,तो पहले उसके बेबुनियाद वादों को भी जला देना , जली है मशाल तो उसमे घी अपनी अधूरी यादों का भी जला देना , जो अपनों से दूर ले जाकर खुशियों की बात करे, उसे भी दिये की लौ में जला देना , तिमिर जहां में हो, तो अपनी कोशिशों से तुम उजाला कर देना , जली है मशाल तो , उसमे अपनी खामियों को भी जला देना । #जली है मशाल तो