*छलीया छल कर गया* (लड़कियों की दृष्टि से लिखी हुई) प्रतिबंधित हैं इश्क़ मेरा, कोई बंधन नहीं अब हमारें दरमियाँ! नाराज़ हैं वो मुझसें, के तानें मारतें हैं रहतें! कहते तुम बदल गए, और खुद खफ़ा रहतें! ज्यादा कुछ नहीं, एक दोस्त की ख़वाईश थीं मेरी, वो भी अब न रहीं! याद हर रात सता जाती हैं, सवेरा आईना दिखाती हैं! कहती हैं ओ पगली, वो छलीया था तुझे छल गया! दर्द जिंदगी में भर गया, वो तो गया अब तु भी आगे बढ़! इस जिंदगी में सिर्फ तो एक नहीं था, कई आए कई गए! फिर वो ही तुझे क्यों इतना याद आए? पता नहीं क्या रिश्ता हैं उससे? ना जाने क्या अलौकिक बंधन हैं उससे, के कुछ न होते हुए भी सबकुछ हैं उससे! उससे और सिर्फ उसीसे, उसीका होना चाहें मन पर फिर भी हो ना पाएं हम! एक जुनून सा सर पे सवार था मेरे, आज भी हैं और कल भी रहेगा! कुछ यूँ दूर हुए वो हमसे, के हमारा सब लें गए वो हमसे! बस अपना और सिर्फ अपना, बना गए वो हमको! कुछ अपना छोड़ गए, कुछ हमारा लें गए! न जाने क्या रिश्ता था उनसे, के अपने न होकर भी सिर्फ़ अपना बना गए वो हमको! कुछ पता नहीं क्या आलम- ए- जिंदगी होती, शायद खुश शायद नाखुश! मगर बेज़ार होती यें जिंदगी, मगर बेज़ार होती यें जिंदगी! © कव्यप्रिंस #sunrays #girls #Poet #Nojoto #Life #New #frauds #Love #Bond #affected