यह कैसा कोहराम मचा है एक-एक साँस लेना सज़ा है। बेज़ान सा दिखता चारों ओर दर्द में डूबा पूरा संसार है। माना हमसे हुआ बहुत पाप, अपराधी हर इंसान है, कहीं अपनों का साथ छुटा, पलपल दुआओं में माँगते अपनों के लिए जीवनदान है! 🌝प्रतियोगिता- 206🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"क़ोहराम"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I