सबसे अलग-थलग दरबदर बेखबर चला जा रहा हूं मैं क्या ढूंढ रहा हूं मैं किसकी तलाश है मुझे ना पता क्यों उसकी आस है मुझे चला जा रहा हूं मैं दरबदर बेखबर उस रास्तों पर जहा मंजिल की आस है खुद की तलाश है सपनों पर विश्वास है बस चला जा रहा हूं मैं दरबदर बेखबर उस मंजिल की डगर खुद से रूठा भी हूं हर बार खुद को संभाला है हर बार क्यों चला जा रहा हूं मैं उस डगर ना मंजिल की खबर ना खुद का पता सबसे बेखबर बेखबर दरबदर चला जा रहा हूं मैं #डगर #मंजिल #सफर #दरबदर