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तेरा अक़्स जब कभी आखो में उतरता है, मानो जस्बात के

तेरा अक़्स जब कभी आखो में उतरता है, 
मानो जस्बात के दरिया में आफ़ताब पिघलता हो,  
सरसरी सी उठती है, रूह भी सिहर जाती है,
ये आलम तो ख़ाब का है, 
मुझमे हिम्मत नही, तुझे रूबरू देखु।  #loveshayaris
तेरा अक़्स जब कभी आखो में उतरता है, 
मानो जस्बात के दरिया में आफ़ताब पिघलता हो,  
सरसरी सी उठती है, रूह भी सिहर जाती है,
ये आलम तो ख़ाब का है, 
मुझमे हिम्मत नही, तुझे रूबरू देखु।  #loveshayaris