शान ओ शौकत की आड़ में,ये कैसा ख़ेल चलाया है, इंसा की कोई कीमत न रही, ताक़त पैसो को दिखलाया हैं। और वो कुछ तरस रहे हैं बासी रोटी खाने को, एक तुम हो जिसने,रोटी पर देशी घी लगवाया हैं।। अरुण शर्मा #गरीबी#मुफलिसी#खेलगरीबी#Arunsharma#roopkumarvermaphoto