हर पल ध्यान मे बस ने वाले लोग अफशानें हो जाते है आँखें बुढी हो जाती है खाब पुरानें हो जाते है सारी बात तअल्लुक वाली जज्बों की सच्चाई तक है मैल दिलों मे आ जाये तो घर बीरानें हो जाते है झोपड़ीयों मे हर एक तल्ख़ी पैदा होते मिल जाती है इसी लिए तो वक्त से पहले तिफ्ल सियाने हो जाते है दुनिया के इस सोर ने अमज़द क्या क्या हम से छीन लिया है खुद से बात किये भी अब तो कई ज़मानें हो जाते है ©Mujahid Khan Mujahid Khan #MujahidKhan