ज़नाब... तस्वीर तस्वीर बदली है, मेरे गाँव की। गांव के घर,अब पक्के हो चले हैं। घरों की बढ़ती संवेदनहीनता, जो मिट्टी के घर में कमजोर थी अब वह पक्के सीमेंट के साथ मजबूत हो गई है। ................. #feelings #poems #writers OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)