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मैं सोचता हूं एक ऐसा दिन जब मैं खुद को आजाद पाऊंगा

मैं सोचता हूं एक ऐसा दिन
जब मैं खुद को आजाद पाऊंगा
तब मैं घंटों चिल्लाऊंगा और फिर रोऊंगा
सच में !
इतना कुछ भरा हुआ है सालों से
कि मैं घुट रहा हूं अपने ही जिस्म में

जानते हैं!
अभिशाप गुलामी नहीं है
अभिशाप है लोकतंत्र में भी गुलाम होना
बोलने की आजादी के बाद भी अघोषित चुप्पी का संदेश
और ये बोलने का आदेश कि
सब ठीक है!!

©ABRAR 
  मैं सोचता हूं एक ऐसा दिन...
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aabha Arzooo Niaa_choubey Khushi Saini Varun... NIDHI Anamika Sharma Dr.ZUB@IR @HMAD Irfan Saeed Writer