टांग दिया खूंटी पर दिन का उजाला... छिड़क दी दहलीज़ पर केसरी शाम .... बिखरा दिए फर्श पर सतरंगी फूल... सवांर कर रख दी सिलवटे चादरों की... झाड़ दी पायदान से पांव की खुशबू.... बहा दी हैं बारिश में सहेजी बूंदे... बस अब ये रात का आँगन बाकी है मेरे पास नज्मों की उंगली थामे जो रह सको मेरे संग तो चले आना.... प्रिया #चले_आना