#OpenPoetry तु चल किसलिए हताश है तु, दिखा उसे जो तुझे सवाल बना दिया जबाब तु खुद बन। हताश मत हो निराश मत हो लोहा और सोना एक ही भट्टी पे तपती है पर, सोना शरीर पे जडी जाती है और लोहा अनेक कार्यो में।। तो, तु भि दिखा हुनर अपनी सवाल का तु टाल दें। जबाब खुद व खुद मिल जायेगा उसे, किसलिए हताश है तु , करते जा अपने कार्य को तु अनजान सा बना रह दिखा दे उसे तु किसलिए हताश है तु क्यों हताश है