°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° हिन्दवासियों का एक है मनोरथ, कि समस्त विश्व चले हिन्दी पथ। अस्तित्व में डाले हैं जिसने प्राण, क्यों जकड़े उसे कोई प्रक्षेपपथ। हिन्दी और हिन्दवासियों के मध्य, क्यों आने दें किसी को अकारथ। बढ़ाएंगे ऊँचा मातृभाषा का कद, आओ मिलकर लें आज ये शपथ। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° हिन्दवासियों का एक है मनोरथ, कि समस्त विश्व चले हिन्दी पथ। अस्तित्व में डाले हैं जिसने प्राण, क्यों जकड़े उसे कोई प्रक्षेपपथ।