तेरे दिल से निकल जाऊं तो मेरा नाम ना लेना। शब्दों में सिमट जाऊं तो फिर आवाज ना देना। अगर बातें कोई तुझको कभी मेरी सता जायें मुझे तू राज ही रखना कभी अल्फाज़ ना देना।। तेरे दिल से निकल जाऊं तो मेरा नाम ना लेना।। रहकर दूर यूँ मुझसे सफर ये खास कर लेना मिटाकर मेरी हस्ती को खुद को आबाद कर लेना फिरभी महफ़िल में गैरों की कभी मेरी बात आ जाये मुझे अंजान ही रखना कभी दिले खास ना कहना। तेरे दिल से निकल जाऊं तो मेरा नाम ना लेना। ख्वाबों से जो हट जाऊं तो फिर आवाज ना देना।। गुड्डे गुड़ियों के खेलों सी रही क्यूँ प्रीत ये अपनी अधूरे चंद लम्हों की रही क्यूँ प्रीत ये अपनी अभी तो ख्वाबों के रंगों से इनमें कुछ रंग भरना था फिजा में बिखरी खुशबू सी रही क्यूँ प्रीत ये अपनी अगर अब भी तेरे दिल मे कहीं मेरा अक्स दिख जाये छुपा लेना झरोखों में कभी ये राज ना देना तेरे दिल से निकल जाऊं तो मेरा नाम ना लेना शब्दों में सिमट जाऊं तो फिर आवाज ना देना।। तेरे दिल से निकल जाऊं तो मेरा नाम ना लेना।। ख्वाबों से जो हट जाऊं तो मेरा नाम ना लेना तेरे दिल से निकल जाऊं तो मेरा नाम ना लेना।। 18-08-2019 12:52PM