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तड़प और बेचैनी भरी जिंदगी में सुकून के दो पल नसीब

तड़प और बेचैनी भरी जिंदगी में सुकून के दो पल नसीब नहीं होते हैं इंसानों को, फिर भी तलब सभी को है अपनी जिंदगी बेहतर बनाने को,एक कुर्सी पर बैठ उसके ऊपर वाली को पाने को, कुछ को तो ये कुर्सी इतनी प्यारी लगती हैं कि इसको पाने की खातिर वो अपनी मां को भी बेच देते हैं इस जवाने को....! #जवाना और ये लोग
तड़प और बेचैनी भरी जिंदगी में सुकून के दो पल नसीब नहीं होते हैं इंसानों को, फिर भी तलब सभी को है अपनी जिंदगी बेहतर बनाने को,एक कुर्सी पर बैठ उसके ऊपर वाली को पाने को, कुछ को तो ये कुर्सी इतनी प्यारी लगती हैं कि इसको पाने की खातिर वो अपनी मां को भी बेच देते हैं इस जवाने को....! #जवाना और ये लोग