दर्द-ए-दिल से सजाकर, मैं गजल लिखने लगा हूँ। सुर्ख से नाजुक लबों को, मैं कमल लिखने लगा हूँ। संगमरमर सा तरासा, हुस्न उसका देखकर ही.. खूबसूरत उस परी को, मैं महल लिखने लगा हूँ। सोचता हूँ हाल-ए-दिल, मैं बता दूँ उस परी को.. जिस परी को जिंदगी की, मैं पहल लिखने लगा हूँ। ©Govind Pandram #संगमरमर 2122, ...., .... 2122, Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" रश्मि सचिन पाठक Priya dubey