ज़िंदगी एक अजीब दास्तान, कभी रुकती तो कभी चलती, कभी देती खुशी तो कभी ग़म, कभी वक़्त की भागीदार तो कभी वक़्त के खिलाफ़। ना समझ सका कोई ज़िंदगी की दास्तान, है यह तो एक पहेली जैसी, जिसे कितना भी सुलझाना चाहो, रहे यह तो अनसुलझी ही। ज़िंदगी दिखाती है ख़्वाब, लेकिन हकीक़त कुछ और ही होती है, उम्मीद पर इंसान जिंदा रहता है, लेकिन कामयाबी कभी-कभी ही मिलती है। ज़िंदगी है किसी के ख़्वाब पूरे होने की दास्तान, तो किसी के ख़्वाब टूटने की दास्तान, चलती है हमेंशा अपने हिसाब से ही, मिलता है कहीं पर प्रेम तो कहीं पर दर्द। -Nitesh Prajapati ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1091 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।