चूमकर माथे पर रख दें चन्दन वरण और आँखों में पहली सुनहली किरण इन कपोलों पे दो फूल मौसम के रंग और होठों पेे अपने जी के गुलाबी जतन यों सुहासित रहो मेरे झिलमिल सपन लाल आँचल के अभिलाष जगमग रतन लाल आगम का आभास चौदह भुवन शुभग आगमन कर्ष ले त्रिविध तापकण दिव्य दिनकर के जैसा गगनराज हो ना प्रशंसा प्रशस्ति का मोहताज हो ये धरती समूची पुलककर खिले तुम गगनपथ चलो तोष सबको मिले द्वेष तुमसे किसी को न ईर्ष्या रहे वृत्त वृत्ति में समरस सदिच्छा रहे सब कहे एक स्वर में स्वस्ति तुम्हें भाव सबके हृदय में स्वधा का रहे दीप्ति हो दिग-दिगन्त तुम्हारी सदा मेरी आँखों की सस्मित प्रभा हो रहे #toyou #morningsun #yqnature #yqlove #yqlife #yqyouandme