#WriterSpSunda #jaiHind #नमन् #इंकलाबजिंदाबाद ★मेरे जेहन में आये दृश्यों को कहानी का रूप दिया है। पढियेगा,विचार कीजियेगा। ★★★★★S.p sunda★◆◆◆◆◆◆◆ "माँ मुझे ड्यूटी जाना होगा ,छुट्टी खत्म हो गयी है । कल ही निकलूंगा" कहकर फौजी अपना सामान समेटने लगा। माँ भी मन मारकर दुखी मन से चेहरे पर झूठी मुस्कान लाने की कोशिश करके रोन्धे गले से बोली ," थोड़े दिन ओर रुक जाता तो अच्छा लगता लेकिन नोकरी है जाना पडेगा" बोलकर बेटे के समान जुटाने में मदद करने लगी। माँ अपनी मुस्कान में सब छुपा लेती लेकिन आंखों के पानी ने दगा दे दिया। ये सब फौजी की 8 साल की बेटी ने भी सुना तो दौड़कर आयी और फौजी की उंगली पकड़कर मासूमियत से बोली,"क्या पापा। परसो मेरी स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग है। आप कभी नही आते।सबके पापा आते है" कहकर मुह फुलाकर बैठ गयी। फौजी मुस्कराया और उसे गोद मे उठाकर बोळा,' मेरी राजकुमारी। आपके पापा फौजी है। दुश्मनों से देश की रक्षा करते है। अब मै नही गया तो दुश्मन देश मे घुस जाएगा ! अब बताओ नही जाऊ में ?" ये सुनकर बिटिया ने फौजी को बांहों में भर कर लिपटकर बोली," सब दुश्मनों को मार देना पापा। कोई अपने देश मे न घुस पाए" ये कहकर वो बाहर की तरफ दौड़ गयी। शाम हुई,आज सबने साथ खाना खाया। फौजी के पिता ,किसान है। दिनभर खेत मे काम करके लोटे है। अंधेरा होने को है इधर फौजी की पत्नी भी उदास हो गयी। उसे आज नींद ही नही आ रही है। शिकायत भरे अंदाज मे बोलती है ," अभी आये कुछ दिन ही तो हुए है। छुट्टिया कम क्यों ली! पिछली बार आपने वादा किया था कि अबकी बार फ़िल्म देखने चलेंगे। और इस बार भी.." बोलकर मुह फेरकर सोने की नोटनकी करने लगी। फौजी समझाते हुए बोळा," तुम भी न । छोटी -2 बात पर बच्चो की तरह रूठ जाती हो! चलो इस बार जल्दी ही आऊंगा ओर पकक्का सिनेमा।" पत्नी भी आंखों में उदासी लिए मान गयी। सुबह उठते ही सभी फौजी को विदाई देने कि तैयारी में जुट गए। बूढ़ी माँ रसोई में परांठे बना रही है। पत्नी फौजी के बैग को व्यवस्थित कर रही है। कही कुछ भूल तो नही रहे है न! फौजी का दोस्त मोटरसाइकिल ले आया उसे बस स्टैंड छोड़ने को। फौजी ने अपना बैग उठाया बेटी को समझाया," आप शरारतें मत करना। पढ़ाई करना। अबकी बार आपके लिए पापा रिमोट वाली कार लाएंगे"सुनकर बहुत खुश हुई। इधर रवाना होने से पूर्व अपने बापू के धोक लगाई तो वो अपने फटे,मेले कुर्ते की जेब मे हाथ दिया और 500 रुपये बढ़ा दिए। मना किया फौजी ने फिर भी जबरदस्ती उसके हाथ मे थमाकर बोले," आशीर्वाद समझ कर ले जा।" फौजी जब अपनी माँ की तरफ बढ़ा तो माँ गले लिपटकर भावुक हो गयी। थोड़ी देर दोनों गले मिलते रहे। फिर माँ ने आंसू पोछकर एक डिब्बा थमाया बोली," देशी घी के लड्डू है। खा लेना और अपने दोस्तों को भी खिलाना" अब रवाना होने के लिए चौखट की तरफ बढा तो देखा ,"रशोई के दरवाजे की ओट में छिपकर पत्नी सजल आंखों से टकटकी लगाए देख रही थी। फौजी मुस्कराते हुए हाथ हिलाकर आगे बढ़ गया। फौजी को उसकी माँ ने जाते वक्त कहा,"बेटा पहुचकर फोन कर दियो याद से" अब सभी दुःखी मन से अपने काम लग गए। जम्मू पहुचने में फौजी को घण्टो लगे। ★ये सब फौजी अफसर अपने फौजी की लाश के टुकड़ों के पास पड़ी डायरी के जले कटे पन्नो से पढ़ रहा था। उसका कलेजा बैठ गया। चारो ओर खून। मांस के चिथड़े। लाशों के विक्षिप्त अंग। और इसी डायरी में फौजी की मासूम बेटी की तश्वीर ने अफसर के घुटने तोड़ दिए.. वही जमीन पर घुटनो के बल बैठकर उस बेसहारा बाप, बिलखती माँ, बेहोश पत्नी और चिल्लाती बेटी की काल्पनिक तश्वीर उनके जहन पर आने लगी... वो माँ बेटे के फ़ोन का इंतजार कर रही होगी.. तभी अफसर का ध्यान चारो ओर बिखरे देशी घी के लड्डुओं पर गया तो चिल्लाने लगा...😢😢😢 नमन्....निशब्द... इस कहानी को sp सुण्डा यही रोक रहा हूँ। लिख नही पा रहा हूँ। आंखे नम है... जै हिन्द, जै जवान, जै किसान... Share plzzzzz #NojotoQuote #India #JaiHind #JaiBharat