#OpenPoetry हर पल त्याग तु हिं क्युं करेगी हर के पाप धोने का प्रयाग तु हिं क्युं बनेगी नहीं भाती रागनी जीसे उसकी भी राग तु हिं क्युं बनेगी खिलते हैं नन्हे पुस्प तुझी से लेकिन हर बार बाग तु हिं क्युं बनेगी सब खा रहे छप्पन भोग लेकिन हर बार साग तु हिं क्युं चखेगी समाज सपोलों साजिश लोगों से भिड़ने को हर बार काग तु हिं क्युं बनेगी तु औरत है इसिलिए क्या तु ममता की मूरत है तु नारी है इसिलिए क्या तुझपे परते सब भारी है तु स्त्री है इसिलिए क्या तुझे सब बना रहे हिस्ट्री है करा रहे जड़ जमीन रूह की तेरी रजिस्ट्री है निरा प्रेम है नारी से इस 'राज' मे करता हुं ये बात आगाज मै अब तु नहीं तेरे जुल्मी मरेंगें तु तो आग है झाग नहीं हर बार तु हिं क्युं मरेगी । नारी #OpenPoetry #yourquote #quote #stories #qotd #quoteoftheday #wordporn #quotestagram #wordswag #wordsofwisdom #inspirationalquotes #writeaway #thoughts #poetry #instawriters #writersofinstagram #writersofig #writersofindia #igwriters #igwritersclub