मेरी खामोशियों में भी फ़साना ढूँढ़ लेती है, बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूँढ़ लेती है, हकीकत ज़िद किये बैठी है चकनाचूर करने को, लेकिन ये आँख फिर सपना सुहाना ढूँढ़ लेती है। ©Chandra Prakash Kandpal #Dream #comes #true just #Thinking #again & #again but #life doesn't #Responding #ReachingTop