कैंडिल नहीं प्रोटेस्ट नहीं, नहीं लेख अख़बार। घोड़े बेचकर सो गए सब, चोरों के सरदार।। चोरों के सरदार, नन को ही दोषी बतलायें। विशप खुले में घूमता, अब कोई न चिल्लाए।। अपराधी के धर्म यहां, आउट-रेज करवाते। अगर नैरेटिव सेट नहीं, चुपके से सो जाते।। जालंधर विशप नन रेप कांड पर विशेष - कैंडिल नहीं प्रोटेस्ट नहीं, नहीं लेख अख़बार। घोड़े बेचकर सो गए सब, चोरों के सरदार।। चोरों के सरदार, नन को ही दोषी बतलायें। विशप खुले में घूमता, अब कोई न चिल्लाए।। अपराधी का धर्म यहां, आउट-रेज करवाता।