#रेशम की डोर सोने के संसार में ,क्यों डूबा इंसान। कच्ची रेशम डोर से,रिश्तों का अभिमान। बहना के अनुराग का, नहीं मोल है कोय, धागा सच्चे प्रेम का,हाथ सुशोभित होय। धागा पहना रेशमी,भ्राता मन मुसकाय। प्रेम-बूंद भाई रहा,दोनों हाथ लुटाय।। रेशम के दो तार का,अद्भुत है संसार। प्रेम गाँठ के बीच में,छल और न व्यापार।। रंग-बिरंगा सज रहा,मोती वाला थाल चन्दन का टीका करे,बहना भ्राता भाल।।