मुलाकातों का सिलसिला यूं तो हर रोज़ होता है कहना बहुत कुछ होता है पर बयां कुछ नहीं होता है ये अनजानी सी जो खलल है वो क्यूं होती है सीने में इतना सब है कहने को पर सब अंदर ही दफन क्यूं होता है। मुलाकातों का ये सिलसिला दिल की बेचैनी को और बढ़ाता है इतना सब है कहने को पर बयां कभी कुछ नहीं कर पाता है इसी तरह ये बोझ हर रोज़ यूं ही बढ़ता जाता है अक्सर तनहाई में सोचता हूं आखिर ये दिल क्यूं कुछ नहीं कह पाता है राज़े दफ्न है जो सीने में उसे और क्यूं बढ़ाता है। #मन_की_तरंग_से #poem #quotes #Shayari