पास आकर के यों दूर हो गये, मुझे यों तुम सता रहे हो कैसे? रोता नहीं देख सकते थे पहले, मुझे यों तुम रुला रहे हो कैसे? वादे तुम सब करके मुकर गये, मुझे यों तुम भुला रहे हो कैसे? याद करके भी यों भूले हो गये, मुझे यों न पहचान रहे हो कैसे? कहते थे तुम रूह मेरी हो गये, जिस्म रूह जुदा कर रहे हो कैसे? सावन सी ज़िन्दगी लुभाती थी, मेरी यों तुम मौत बन रहे हो कैसे? चेहरे पे चेहरा लगा लेते हैं लोग, रूह के निशान मिटा रहे हो कैसे? ज़िन्दगी ज़िन्दगी से यों दूर हो गई, जिस्म से रूह दूर कर रहे हो जैसे। आईना ही मेरी पहचान भूल गया, तेरी सूरत मुझ में दिख रही हो ऐसे। डर सारे के सारे दूर अब हो गये, तुम ठहाका लगा दिख गये हो जैसे। पास आकर के यों दूर हो गये, मुझे यों तुम सता रहे हो कैसे? रोता नहीं देख सकते थे पहले, मुझे यों तुम रुला रहे हो कैसे? वादे तुम सब करके मुकर गये, मुझे यों तुम भुला रहे हो कैसे?