कड़वाहट "रिश्तों" की भूल जाओ ना भूल कर "दर्द" फ़िर से मुस्कराओ ना मंज़र "दर्द" का देखा है, हर-पल तुमने खाया "धोखा" रिश्तो में, हर-पल तुमने माफ़ कर हर "गुनाह" "अपनों" के तुम मिसरी सा "मीठा" रिश्तों को बनाओ ना कड़वाहट भूल सबको "गले" लगाओ ना आओ ना गाँव, तुम अंगना महकाओ ना माफ़ी वो खुशबु, महकाए जीवन सबका कर माफ़,सफल यह जीवन बनाओ ना ♥️ Challenge-578 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।