इन जालिमों की बस्ती में, हमारी भी पहचान है, निहारते हो तुम जिसे, याद रखना वो हमारी जान है, ये लोग सर झुकाते है हमारे सामने, और तुम जिसे क्तले - आम कहते हो, याद रखना ,वो हमारा रोज़ का काम है ! R.samrat #Warning #copyrightresrved