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कुछ ना दे सका जब वो मुझे तो दरद ही दरद दे दिया उ

कुछ ना दे सका जब वो मुझे तो दरद ही दरद 
दे दिया

उसकी याद ने रूलाया रात भर तो तकदिर ने हाथो
 
मे कलम दे दिया
चिखता शायर
लिखता शायर चिखता शायर 
लिखता शायर 
शाहबान मलिक
कुछ ना दे सका जब वो मुझे तो दरद ही दरद 
दे दिया

उसकी याद ने रूलाया रात भर तो तकदिर ने हाथो
 
मे कलम दे दिया
चिखता शायर
लिखता शायर चिखता शायर 
लिखता शायर 
शाहबान मलिक