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अब याद आता है वो सब, वो गालियां देना बस कितनी देर

अब याद आता है वो सब,
वो गालियां देना बस कितनी देर में आएगी,
वो उस बस में चड़ना जिसमें तुम्हारी भाभी हो,
बस स्टॉप जो कभी भरे होते थे,
किसी की ऑफिस के चक्कर में,
किसी के स्कूल के, किसी के प्यार के,
लेकिन अब सारा शोर शांत हो गया है।

©SAMBHAV JAIN बस स्टॉप 
याद आती है मुझको बस स्टॉप की,
वो स्कूल के कपड़ों में,
सुबह सुबह बस का इंतजार करना,
और दोस्तों से मिलने की जल्दी में,
बिना डब्बा लिए घर से निकलना,
वो ड्राइवर से दूसरी बस से आगे निकले के लिए बोलना,
और फिर दूसरों को बस में से चिड़ाना,
अब याद आता है वो सब,
वो गालियां देना बस कितनी देर में आएगी,
वो उस बस में चड़ना जिसमें तुम्हारी भाभी हो,
बस स्टॉप जो कभी भरे होते थे,
किसी की ऑफिस के चक्कर में,
किसी के स्कूल के, किसी के प्यार के,
लेकिन अब सारा शोर शांत हो गया है।

©SAMBHAV JAIN बस स्टॉप 
याद आती है मुझको बस स्टॉप की,
वो स्कूल के कपड़ों में,
सुबह सुबह बस का इंतजार करना,
और दोस्तों से मिलने की जल्दी में,
बिना डब्बा लिए घर से निकलना,
वो ड्राइवर से दूसरी बस से आगे निकले के लिए बोलना,
और फिर दूसरों को बस में से चिड़ाना,
sambhavjain9014

SAMBHAV JAIN

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