यूंही कभी बिन मौसम बरसात नहीं होती बादल छाने से अंधेरा होता है रात नहीं होती यूं तो हर रोज़ आईने में देख लेते हैं खुद को मगर अब खुद से मुलाक़ात नहीं होती कई अरसे हो गये सच्चे दोस्तों से मिले हुए बात तो हो जाती है मगर वो बात नहीं होती बचपन में यूं तो कई कायदे होते हैं शुक्र है मन में धर्म और जात नहीं होती जिंदगी से सीखा है हमने जीने का सलीका जिस रोज़ हम न सीखें ऐसी रात नहीं होती ©Anoop Kumar Mayank Anoop kumar mayank's poetry 😊❤️💫💯 #anoopkumarmayank #anoopindergarh #Blossom