मुहब्बत की क़िताबों में नहीं हम मिलेंगे तुम्हारे चिराग़ों में!! महकी हुई फिजाओं में नहीं हम मिलेंगें तुम्हारी राहों में!! भरोसा तो हमें भी नहीं नजूमी पे मग़र हम मिलेंगे नहीं हाथों की लकीरों में हम मिलेंगें तुम्हरी दिल की दीवारों में!! रब की नेमत है कि मिले हैं हम इसलिए हम मिलेंगे तुम्हारी दुवाओं में!! न ढूंढ़ना हमें खदानों में हम मिलेंगे तुम्हारी बाहों में!! हवाओं में न ढूढ़ना हम वो खुशबू हैं सिर्फ मिलेंगे तुम्हारी साँसों में!! ©Deepak Bisht #इज़ाज़त-ए-मोहब्बत