पुरुष का स्त्री होना कोई बुरी बात नहीं स्त्री का पुरुष बनकर घर चलाना, मात नहीं। माहवारी के दर्द को पुरुष समझे स्त्री सा फिर दर्द हो असहनीय फिर होता आघात नहीं। अहम ना हो दरमियान हो आपसी समझ साथ स्त्री, पुरुष हों एक से दो अलग ना हो जात। #स्त्री #पुरुष #kumaarsthought #kumaarpoem #कुमारकीसोच #रिश्ता #कुमारकेरिश्ते #kumaaronrelations